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CBSE Affiliation No. 1031254

राष्ट्रीय हिंदी दिवस

हिंदी हमारी राजभाषा ही नहीं बल्कि हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है। हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर द शिशुकुंज इंटरनेशनल स्कूल, नॉर्थ कैंपस में भी विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की गईं।

जूनियर के. जी. द्वारा कविता वाचन और सीनियर के. जी. द्वारा लघु कथा पठन गतिविधि का आयोजन किया गया। इसमें बच्चों ने बढ़चढ़ कर पूरे उत्साह से हिस्सा लिया। बच्चों ने विभिन्न विषयों पर बड़ी ही दिलचस्प कहानियाँ एवं कविताएँ सुनाईं। इसमें बच्चों ने लोक कथा, पंचतंत्र की कथा, नैतिक मूल्यों पर आधारित कथा, रामायण एवं कृष्ण लीला के कुछ किस्से भी सुनाए। कविता वाचन में बच्चों ने आम, भारत, तितली, मछली आदि विषयों पर कविता वाचन किया। कुछ बच्चों ने माँ पर भी बहुत भावुक प्रस्तुति दी। साथ ही रचनात्मक रंगमंच सामग्री का भी बखूबी इस्तेमाल किया। बच्चों की उमंग और उनकी मासूमियत ने इस कार्यक्रम को और भी आकर्षक और रोचक बना दिया।

‘स्वस्थ तन में आनंदित मन’ विषय पर कक्षा-1 के विद्यार्थियों के लिए काव्य पाठ प्रतियोगिता एवं कक्षा- 2 के विद्यार्थियों के लिए वाग्मिता ( वक्तृत्व कला ) प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । हिंदी भाषा के प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित करते हुए विषय से संबंधित स्वयं के विचारों की अभिव्यक्ति स्पष्ट, शुद्ध, सहज एवं स्वाभाविक रूप से प्रस्तुत कर विद्यार्थियों ने सभी का मन मोह लिया ।

हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में कक्षा सातवीं ‘ब’ एवं आठवीं ‘अ’ के विद्यार्थियों के द्वारा पृथक-पृथक प्रार्थना-सभा आयोजित की गई। सर्वप्रथम कक्षा सातवीं ‘ब’ के विद्यार्थियों के द्वारा भाषा का महत्त्व बताते हुए नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति दी गई, तत्पश्चात एक सामूहिक नृत्य एवं वाद्य यंत्र के साथ सामूहिक काव्यपाठ भी किया गया।

14 सितंबर का दिन ‘हिंदी दिवस’ के साथ’ ‘विश्व शांति दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है । कक्षा आठवीं ‘अ’ के विद्यार्थियों ने हिंदी भाषा के उद्भव से वर्तमान तक की स्थिति को स्पष्ट करते हुए भाषा के प्रति जागरूकता का संदेश दिया; साथ ही, ‘विश्व शांति दिवस’ कब और क्यों मनाया जाता है? वर्तमान समय में विश्व शांति की आवश्यकता एवं इसमें भारत की मुख्य भूमिका तथा योगदान से परिचित कराया गया। इस वक्तव्य में भारत की “वसुधैव कुटुंबकम” की अवधारणा को निरूपित करते हुए ‘पंचशील के सिद्धांतों’ के बारे में भी बताया गया, जिसे सुनकर विद्यार्थी बहुत प्रभावित हुए तथा उन्होंने ‘आज के विद्यार्थी: भावी भारत के निर्माता’ होने के भाव से प्रेरित होकर करतल ध्वनि से अपने कर्त्तव्य बोध का परिचय दिया।

तदुपरांत वाद्य-यंत्रों के साथ एक सामूहिक गीत गाया गया, इस गीत में हिंदी भाषा को अपने मन से जुड़ी हुई भाषा होने का भाव प्रकट हुआ। तत्पश्चात एक कवि सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें विद्यार्थियों ने पारंपरिक वेशभूषा में हिंदी जगत के मध्यकालीन तथा आधुनिक युगीन कवियों की कविताओं की प्रस्तुति दी।

संपूर्ण कार्यक्रम रोचक, ज्ञानवर्धक और उत्साह से पूर्ण था। कार्यक्रम के अंत में विद्यार्थियों ने शिशुकुंज परिवार के समस्त सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया।


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