Author: Avi Shrivastava, Class XI D
हाँ वतनपरस्त हूँ मैं क्योंकि मैंने धर्म की लकीर से देश को नहीं बांटा,
शम-अल्लाह की दुहाई देकर जिस्म को नहीं काटा,
देश है मेरा कभी न थमने वाला दरिया,
यह तो मुहब्बत और इंसानियत का है ज़रिया |
हाँ वतनपरस्त हूँ मैं क्योंकि वतनपरस्ती को धर्म है माना,
अपने हमवतन को अपना कुनबा माना,
न कोई मेरा मज़हब, न कोई रंग,
रहे तिरंगा ही मेरे दिल के संग |
हाँ वतनपरस्त हूँ मैं क्योंकि बांटी मैंने लोगों में मुहब्बत,
नहीं धर्म के नाम पर की बग़ावत,
नहीं मेरी कोई मुक़द्दस किताब,
संविधान की ही करूं पूजा-आदाब |
हाँ वतनपरस्त हूँ मैं क्योंकि मुल्क के लिए एक ही है चाहत,
मिले मुल्क को मज़हबी-जातिवाद से राहत,
फहराऊं दुनिया पर हिन्दुस्तान का परचम,
याद रखे दुनिया हिन्दुस्तानियों को हरदम |
क्योंकि हाँ वतनपरस्त हूँ मैं ,
हाँ वतनपरस्त हूँ मैं |