शुभ हरकावत, साहेब छाबरा, श्रेयांश पाठक, रिची गुप्ता, शैलजा अरोरा, रिया खेमका, कक्षा ८वीँ D
शिशुकुंज है हमारा विद्यालय
नियमों का है यह आलय |
विद्यालय है हमारा दूसरा घर,
हम शिक्षकों का करते हैं सदा आदर |
हम बच्चों ने ली सफलता की उड़ान,
इसी से बढ़ता शिशुकुंज का मान |
सदा जीवन, उच्च विचार,
इस विद्यालय के सपने हम करें साकार |
हम रखते हैं स्वच्छ वातावरण,
छूते हैं हम शिक्षकों के चरण |
पढ़-लिखकर हम अच्छे-अच्छे काम करेंगे,
पूरे विश्व में शिशुकुंज का रान रोशन करेंगे |
विद्या का भण्डार है जो सारा,
मुझे लगता है अपना विद्यालय प्यारा |
हर्ष, उल्लास के साथ हम मनाते हैं पर्व,
हमें है अपने विद्यालय पर गर्व |
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विद्यालय है वह जगह जहाँ पर सीखा हमने ज्ञान-विज्ञान,
और साथ ही पाया हमने अपने लिए सम्मान |
पहचान हुई हमें अपनी, पाकर विद्या की रौशनी,
एक तरफ पाई नयी उन्मुक्तता,
साथ ही सीखा अनुशासन की महत्ता |
विद्यालय में गुरु का महत्त्व कभी होगा न कम,
भले कर लें कितनी भी उन्नति हम |
पुस्तकों और मित्रों से जीवन का अध्याय सीखा,
और खेल ही खेल में जीवन का कौशल दिखा |
विद्या का भण्डार भरा है जिसमे सारा,
मुझको अपना विद्यालय लगता है प्यारा |