रोहन त्रिपाठी, Class VIII D
रेखा और आलोक के छोटे से परिवार में जब ईशान पैदा हुआ तो उनकी खुशियों का ठिकाना नहीं रहा | ईशान के साथ दोनों इतना खेलते की आलोक तो एक बच्चा ही बन जाता | इसी तरह कई साल बीत गए और ईशान बड़ा हो गया |
ईशान अब आठवी में आ गया था | वह पढने में होनहार और खेल में भी अच्छा था | आलोक और रेखा को उसपर गर्व था | ईशान भी अपने माता पिता से बहुत प्यार करता था | उन्हें अपना दोस्त मानता था |
पर जैसे जैसे वह बड़ी कक्षा में आया, वह अपने स्कूल के दोस्तों के साथ ज्यादा समय बिताने लगा | वह घंटों अपने कमरे में बंद होकर फ़ोन पर बातें करता रहता | कहीं जाते समय अगर उसकी माँ उससे पूछती की वो कहाँ जा रहा है, और किसके साथ जा रहा है, तो ईशान पलट कर उन्हें बुरी तरह जवाब देता था | रेखा को यह बात अच्छी नहीं लगती पर बेटा बड़ा हो रहा है सोचकर चुप रहती | आलोक भी परेशान था पर क्या करे कुछ समझ नहीं आता | रेखा घंटों ईशान के बचपन की तस्वीरें सीने से लगाकर बैठी रहती और उसके विडियो देखती | पर ईशान तो जैसे अपने माता पिता को भूल ही गया था |
एक दिन जब ईशान अपने दोस्त के घर जा रहा था, रेखा भी सब्जी लेने बाज़ार आई थी | ईशान ने जैसे ही दूसरी तरफ से आती अपनी माँ को देखा, वह तुरंत पलटकर फ़ोन पर बातें करने लगा | उसका ध्यान नहीं गया की एक ट्रक तेज़ी से उसकी ओर आ रहा था | रेखा ने देखा तो वह दौड़ती हुई आई और ईशान को जोर से धक्का देकर उसे हटा दिया | ट्रक ने रेखा को टक्कर मार दी |
रेखा कई दिन अस्पताल में भर्ती रही | उसे बहुत चोट आई थी | जान बच गई यह भगवान् का वरदान था | ईशान को अपनी ग़लती का अहसास हुआ | वह माँ के पास गया और उसके पैरों से लिपट कर रोने लगा | रेखा ने उसे गले से लगा लिया |
रेखा को जब अस्पताल से छुट्टी मिली, वह घर आ गयी | ईशान अब अपने परिवार के साथ वक्त बिताने लगा | उनका छोटा परिवार पहले की तरह खुशहाल हो गया |