कार एवम बैलगाड़ी के बीच
महक करनानी, इशिता जैन, कक्षा ६ठी D
कार: बैलगाड़ी, कैसे हो तुम? आज कल तो ईद का चाँद हो गए हो !
बैलगाड़ी: क्या बताऊँ दोस्त, आज कल तो कोई मेरी इज्ज़त ही नहीं करता | तुम कैसे हो?
कार: मैं अच्छा हूँ | तुम्हारी गति कितनी धीमी है, शायद इसीलिए कोई तुम्हारी इज्ज़त नहीं करता |
बैलगाड़ी: हाँ दोस्त, मेरी गति तुम्हारी गति से धीमी है, लेकिन यदि मेरी खोज नहीं हुई होती, तो मनुष्य तुम तक नहीं पहुँच पता | और देखो, आज भी पर्यावरण को दूषित करने में मेरा कोई हाथ नहीं है |
कार: तुम्हारी बात एकदम सही है दोस्त | मेरी वजह से आज पर्यावरण को बहुत नुक्सान हुआ है | और तुम्हारा शुक्रिया, अगर तुम नहीं होते तो शायद आज मैं भी नहीं होता |
बैलगाड़ी: मैं खुश हूँ की तुमने यह बात स्वीकार की |
कार: अगर किस्मत हुई तो हम वापस मिलेंगे |
संवाद २
राधिका भागवत, मार्टिन जोस, कक्षा ६ठी D
मार्टिन: राधिका, मैं जब कल तुम्हारे घर हिंदी की गृहकार्य पुस्तिका लेने आया था, तब तुम कहाँ थी?
राधिका: मैं अपनी माँ के साथ शिक्षा अधिकारी के कार्यालय गयी थी |
मार्टिन: तुम्हे वहां जाने की क्या ज़रूरत पड़ गयी?
राधिका: हम वहां हमारे चौकीदार की पांच वर्षीय बेटी के सरकारी विद्यालय में सर्वशिक्षा अभियान के तहत दाखिले के लिए गए थे |
मार्टिन: यह सर्वशिक्षा अभियान क्या होता है?
राधिका: इस अभियान के अंतर्गत सभी बच्चों को सरकारी विद्यालय में मुफ्त शिक्षा दी जाती है |
मार्टिन: अरे वाह ! और क्या-क्या होता है?
राधिका: वहां बच्चों को दोपहर का भोजन भी दिया जाता है जिससे वे कुपोषण व् एनीमिया का शिकार नहीं होते हैं | उन्हें किताबें, यूनिफार्म व् छात्रवृत्ति भी दी जाती है |
मार्टिन: हमारी सरकार कमज़ोर वर्ग के बच्चों के लिए इतना सब कुछ कर रही है इसकी मुझे जानकारी नहीं थी | अब मैं भी हमारे माली दादा के बच्चों को सरकारी विद्यालय में दाखिले के लिए जाऊँगा |
चाँद और सूरज
आर्या झंवर, कक्षा ६ठी D
सूरज: अरे चाँद ! भाई, तुम कैसे हो?
चाँद: मैं अच्छा हूँ, लेकिन तुम्हारी ऊष्णता से मुझे बहुत परेशानी हो रही है |
सूरज: इसमें मैं क्या कर सकता हूँ? यह तो प्रकृति का नियम है और मेरा गुण भी |
चाँद: देखो न, यह मनुष्य कितना मतलबी है, जब ठण्ड रहती है, तब तो तुम्हे ही याद करता है और मुझे भूल जाता है |
सूरज: ऐसा कुछ नहीं है | जब गर्मी होती है तो वह मुझसे कितना चिढ़ता है |
चाँद: हाँ, मनुष्य बहुत ही स्वार्थी है, जब तक उसे किसी से काम रहता है, तब तक वह उसे ही पूजता है, लेकिन जब काम ख़त्म हो जाता है तो वह उससे कोई सम्बन्ध नहीं रखना चाहता | उसे चाँद और सूरज की तरह होना चाहिए|
सूरज: वह कैसे?
चाँद: जैसे तुम सबको गर्माहट देके सबको ऊर्जावान बनाते हो, वैसे ही मनुष्य को भी अपने अच्छे विचारों से दूसरों को ऊर्जावान बनाना चाहिए और अपने स्वभाव में चाँद जैसी शीतलता रखकर हर समस्या का हल निकालना चाहिए |