प्राची शर्मा, कक्षा १० वीं E, की यह कविता मुशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी ‘बड़े भाई साहब’ से प्रेरित है|
आज की यह शिक्षा प्रणाली,
लगती है जैसे कोई बीमारी |
परीक्षा पास करने के लिए,
पुस्तकों के शब्द सबने पिए |
रटना पड़ता है यहाँ पर,
चाहे विद्यालय हो या घर |
बच्चों की हालत हो जाती है खराब,
पढ़कर समझे पाठ ‘बड़े भाई साहब’ |
गणित और ज्योमेट्री से अपेक्षा,
ऐसी करनी पड़ती है शिक्षा |
ज़माने भर का इतिहास,
हमें तो लगता है बकवास |
साहित्यिक विषयों में रूचि आती,
तो वह भी दुसरे विषयों को देखकर चली जाती |
विज्ञान से तो है भागने का मन,
पर क्या करें माता-पिता ने लगाया है धन |
अध्यापकों को तो है पढ़ाना,
अब किसे सुनाएँ अपना तराना |
भारत में फिर से आएगी हरियाली,
अगर सुधर जाए यह शिक्षा प्रणाली |