तान्या ठाकुर, कक्षा VIII F
नौ महीने बिताये उसकी कोख में,
जब भी दुःख हुआ तो रोए उसकी गोद में |
प्यार किया उसने मुझे अपनी ज़िन्दगी से भी ज्यादा,
भलाई देखी मेरी उसने, हो न हो उसका कोई फ़ायदा |
खड़ी रही मेरे साथ जब दुनिया थी मुझसे रूठी,
मुझे खिलाया छप्पन भोग जब रोटी खायी उसने सूखी |
मुझसे प्यार-दुलार करना उसने कभी न छोड़ा,
हालाँकि मैंने उसका दिल कई बार है तोडा |
रास्ता भटक गयी मैं तो उसने दिखाया,
ऊंचाई से गिर गयी तो उसने उठाया |
उसने ज़िन्दगी है मेरी संवारी, भले ही बहुत बार मैं हूँ हारी;
हर कोई इंसान समझता है यह बात, माँ तो सबकी ही होती है न्यारी |
क्या मजाल किसीकी मेरी माँ के सामने मुझे ऊँगली दिखाए,
दुनिया भर की तकलीफें हैं मुझे, मगर वह आए तो मुझपर खुशियाँ छाए |
सच कहा है किसीने कभी,
माँ नहीं तो भगवान् नहीं ||