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दो कविताएँ

सृष्टि शुक्ला, कक्षा आठवीं E, की दो कविताएँ 

१. “उमड़-घुमड़ कर आये बादल” 

उमड़-घुमड़ कर आये बादल,
काली घटा लाये बादल 
        बिजली से लदकर 
        पानी को भरकर 
        वर्षा लाये हैं ये बादल। 
        उमड़-घुमड़ कर आये बादल,
        काली घटा लाये बादल 
सूखी-सूखी धरती को चमकाने 
हरियाली फैलाने को आये हैं बादल। 
उमड़-घुमड़ कर आये बादल,
काली घटा लाये बादल 
        चमन को चन्दन सा महकाने
        चंपा, जूही, गुलाब खिलाने
        आये हैं ये बादल। 
        उमड़-घुमड़ कर आये बादल,
        काली घटा लाये बादल।

२. “दिवाली आई है”

        दिवाली आई है
        खुशियाँ लाई है 
अच्छाई ने बुराई पर, विजय पाई है। 
खिल उठा सारा जहां,
घर-घर में उजियाली छायी है
दिवाली आई है
        ढेरों मिठाइयां सबने बनवाईं हैं ,
        मोहल्लों, नगरों, रिश्तेदारों में बँटवाईं हैं। 
        दिवाली आई है
        खुशियाँ लाई है
चलो उठो ! नए कपडे पहनो, 
नाचो गाओ, बम पटाखे जलाओ 
लक्ष्मी माँ सबकी इच्छाएँ, पूरी करने आई हैं
दिवाली आई है
        चक्री , अनार , लड़ियाँ , फुलझड़ियाँ , सबने जलाई हैं।
        दिवाली आई है
        खुशियाँ लाई है
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